Posts

वो दरवाज़ा खुला रखती है

ये आज ना पूछो

मैं घर का वो सामान जो पीछे छूट गया

की मेरी ईमानदारी के क़सीदे कुछ यू पढ़े गए

मैं लिखूंगा

वो जो रेत का एक टीला हुआ करता था

मैं सूरज कल लेकर आऊँगा

इक्क बकरी का मेमना

मेरा पर्यावाची

हर धूप की एक छांव होती है

Ek adna sa sach