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Showing posts from April, 2019

पलके कुछ भारी सी लगती है

कभी तो धूप होगी

मेरे दिल के खाली कनस्तर में, एक रात छुपी बैठी है

वो इक रोज़ आज भी आया था

मेरे मन के किनारो पे

वो दरवाज़ा खुला रखती है