मैं सूरज कल लेकर आऊँगा
दिन की जो शुरुआत है अभी
खेलने दे निबोरीयो के खेल सभी
दौडूंगा और भागूंगा, हूँगा मैं मजबूत तभी,
तेरे कहने पे मैं माँ दूध भी पी जाऊंगा
पर मान मेरी बात,
मैं सूरज कल लेकर आऊँगा
भर यौवन से मैं भरपूर गया
रवानगी रहे रगों मे, लगे हर दिन नया,
थुड़ी मेरी के बालो को पसंद करती है अब लड़कियां,
पर तेरी ही पसंद की लड़की से शादी मैं करवाऊँगा
बस आज ना रोक, कयोंकि,
मैं सूरज कल लेकर आऊँगा
वो अलग थे दिन जो कट गए मुस्कुराते, हँसते,
और अब मानो एक जैसे कटते है मेरे हफ्ते
हल्के हो गए है मेरे दिन, और भारी मेरे बच्चों के बस्ते,
तेरी जो वो बची है दवाई लानी, अभी जाके ले आऊंगा
पर थक गया हू मेरी माँ,
मैं सूरज कल लेकर आऊँगा
ये जो शाम है ढलती-ढलती
रुक गयी है कारवाँ की पंक्ति चलती-चलती
मेरा हो गया है वक़्त, बेशक रहेगी नई कलीयाँ खिलती-खिलती
वो जो तू चली गयी है कहती-कहती
अब किसको मैं फिर बहाने सुनाऊंगा,
जो तू होती तो कहता,
माँ, मैं सूरज कल लेकर आऊँगा
Bahut khub likha hai..
ReplyDeleteThank you. 🙂
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