मेरा पर्यावाची

की वो तुमसे बोलता होगा
आखिर कुछ तो बोलता होगा
जो तुम शब्द उसके सुनती हो
क्या कभी उनमे खोकर
सोच मेरी है क्या सोची जाती
की ज़रा बताना,
कभी मेरी क्या याद दिलाता है मेरा पर्यावाची

वो तुम्हे ले जाता होगा घुमाने
की आखिर अक्सर ले जाता होगा घुमाने
की जो उसकी बड़ी कार में जाती हो
और अचानक की बारिश से बच जाती हो
की क्या तुम सोचती हो, कैसे तुम मेरी बाइक पे
दो टूक सी थी भीग जाती,
की ज़रा बताना, की कभी,
मेरी याद क्या दिलाता है मेरा पर्यावाची

की मेरी संघ्या की संध्या हुई
और किसी का सर्वनाम व्यक्ति विशेष हो गया
की हमसाये से जो रहते थे
देखते ही देखते उनका संधि-विच्छेद हो गया

की वो तुम्हे अच्छा तो रखता होगा
शायद हर वक़्त ही अच्छा रखता होगा,
की उसकी अक्सर अच्छी होती बातो में
मेरी कन्नी-काटी बुराईयो का सफ़ा
तन्हा किसी मन के कोने  में, क्या होता है जज़्बाती?
वैसे तो तुम्हे शायद न आता हूं याद मैं
लेकिन क्या उस वक़्त,
मेरी याद तुम्हे दिलाता है मेरा पर्यावाची?


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