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मेरे मन के किनारो पे

ये आज ना पूछो

मैं घर का वो सामान जो पीछे छूट गया

की मेरी ईमानदारी के क़सीदे कुछ यू पढ़े गए

मैं लिखूंगा

वो जो रेत का एक टीला हुआ करता था

मैं सूरज कल लेकर आऊँगा

इक्क बकरी का मेमना

मेरा पर्यावाची