ये आज ना पूछो

ये आज ना पूछो की क्या पाया तुमने?
कब्रगाहों की कतारों में मेरा बचपन भी लेटा है

ये आज ना पूछो की सफर कट रहा है कैसा?
अभी गिनती खत्म नही हुई जो शुरू की थी कहे अलविदा की

ये आज ना पूछो की इज़हार कितने किये तुमने?
बस रात को ना सो पाऊ इतने अल्फ़ाज़ दबा रखे है

ये आज ना पूछो की क्या गुज़र गया तुम्हारा?
रंग गुलाबी गुज़र गया ज़िन्दगी का पर इंतज़ार का सलेटी रंग अभी बाकी है

ये आज ना पूछो की खुश हो क्या?
क्या तुम चलती सांस नही देख पा रहे?

ये आज ना पूछो की क्या किया था इश्क़ किसी ज़माने में?
वो जो बहुत पसंद आया,पर उसे बताया नही कभी, शायद वो पूछते हो?

ये आज ना पूछो की बस्ती में बस्ते हो क्या?
थोड़े लोग है आस-पास, पर कोई दिल की पहचान का नही, शायद यही बस्ती होती होगी? तो हा।

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