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मेरे मन के किनारो पे

मैं घर का वो सामान जो पीछे छूट गया

मैं लिखूंगा

वो जो रेत का एक टीला हुआ करता था

इक्क बकरी का मेमना

मेरा पर्यावाची

हर धूप की एक छांव होती है