देखा है
तुम्हारी पुतलियों को मैंने रंग बदलते देखा है
मैं तो हो गया हू तुम्हारा, क्या तुमने मेरा हो कर देखा है?
मक्कारी मुझसे निदारद रही
और न छल मेरी रूह ने देखा है,
बड़े मासूम है तुम्हारे चेहरे के हाव-भाव
फिर क्यों न तुमने, चलाकी, से दूर हो कर देखा है
उन्हें लगता है नही मालूम मुझे
की उनकी हरकतों में फरेब मैंने देखा है,
चलो यू ही है तो यू ही सही,
आखिर कही तो उन्हें मासूम रहते देखा है
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