गुजारिश
गुज़ारिशो की तलहटी से बोल रहा हू
की प्यार न भी करती हो तोह एक बार शर्मा देना
वक़्त आये जब दूर जाने का मेरा
बस दिल रखने को एक बार घबरा देना
तुम्हारे होठो से बहुत खूब लगता है मेरा नाम
तोह कभी भीड़ में मिलू तोह बुदबुदा देना
जो नज़रे न हटा पाऊ मैं तुम से तब
तोह खुद नज़रो के हाथ तुम छुड़ा देना
मेरे चेहरे के रंग और पुराने कपडो से
मेरी अमीरी से दूरी को तुम जान लेना
न जो तब उठा सकता था तुम्हारे ख्वाबो का बोझ
आज भी है हौसले मजबूत, पर जेब की कम गहराई तुम नाप लेना
मेरे चेहरे पर अपने निशान जब छोड़ जाएगी ज़िन्दगी
तब कभी मिलने बुलाऊ तोह आओगी न?
जो अल्फ़ाज़ भेद न पाये होठो को रुक्सत हुई जवानी में
मेरी सफेद दाढ़ी में उनको खोज पाओगी न?
चलो माना की तुम्हे मुझ से मोहब्बत नही
तोह मेरी यादो के संदूक की चाबी तुम गवा देना
जो मांगे हमारे लम्हे तुम से जगह दफन होने को
तोह ना ही ज़मीन और ना ही उनको आसमा देना
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