मेरी स्याह काली रात में एक जुगनू जगमगाया है

वो जो दूर से सपना तुमने दिखाया था
शायद आज उसी का सरमाया, पास मेरे आया है
मेरी स्याह काली रात में एक जुगनू जगमगाया है

बीच अदालत में बाते तो हो जाती है तुम्हारी मुझ से
फिर भी किस ने है समझा, और कहाँ कोई हक में फैसला सुनाया है
मेरी स्याह काली रात में एक जुगनू जगमगाया है

आज बाज़ार की रंगों वाली गली में,
अपने साये को रंगाने ले आया हु
सुबह से शाम हो गयी तेरा रंग ढूढ़ते- ढूढ़ते,
पर कहा कोई रंगरेज़ मुझे रंग पाया है
मेरी स्याह काली रात में एक जुगनू जगमगाया है

मेरी रूह है स्याही की काली दवात सी रात
जिसमे तेरे इश्क के जुगनू ने, बुझा दीया फिर जलाया है
डर है नही की आंधियो से ये भुझ जाएगा
डर तो तुझे देख इन बढ़ती तेज़ साँसों ने जताया है
मैं फिर एक बार मिलूँगा तुम्हे यहाँ से बहुत दूर
जहाँ शितिज पर मैंने नाम तुम्हारा लिखवाया है
आज तुम्हे देख फिर एक बार,
मेरी स्याह काली रात में एक जुगनू जगमगाया है

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