मेरे जलसे में तुम भी आना
मेरे जलसे में तुम भी आना
जो पूछें लोग तुम से, तो सब बताना
बताना की कैसा था मैं
पर सब सच नहीं, कुछ झूठ भी बताना
वो पूछेंगे की क्या ताबीर थी मेरी
तुम नाम अपना लिखना
पर पढ़ कर मेरा बताना,
जो फिर भी न समझे वो
तो मेरी दी यादो में
एक चक्कर कटा लाना
कुछ कोरा-सा रखना मुझको तुम उनके सामने
थोड़ा रंग उनकी सोच से भी भरवाना
एक-आधा कूचा जहां, न गाता हो मेरी दास्तां,
वहा के मोड़ो से भी उन्हें घुमा लाना
दिखा लाना मेरी रिहायश के संकरे दरवाज़े तुम
देखना कही बातो में मेरी गुरबत मत छुपाना
जहा-जहा ज़िन्दगी में मैं बीस था, तुम उन्नीस बताना
और जहा उन्नीस, वहाँ खैर ना ही बताना
बेशक एक वक़्त आएगा मेरी शाम बताने का
थोड़ा गला भरना पर फिर बताने से मुकुरजाना
वो जो हम-तुम उस छत पे मिला करते थे कभी
सब बताना और खूब बताना, बस उसको छुपा जाना
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